पीरियड में पेट दर्द के असरदार घरेलू उपाय - आसान नुस्खे

पीरियड्स महिलाओं की जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा हैं, लेकिन हर महीने होने वाला पेट दर्द कई बार बेहद परेशान कर देता है। कुछ को हल्का खिंचाव होता है, तो कुछ महिलाएं इतनी मरोड़ महसूस करती हैं कि उन्हें काम-काज छोड़कर बिस्तर पर लेटना पड़ता है।

अगर आप हर बार दवाइयों का सहारा लेती हैं, तो इस लेख में बताए गए घरेलू, आसान और असरदार उपाय आपके लिए राहत भरे हो सकते हैं। चलिए जानते हैं कि कैसे आप अपने घर में मौजूद चीज़ों से दर्द को कम कर सकती हैं।

1. गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड से सिकाई

गर्माहट दर्द को कम करने का सबसे पुराना और भरोसेमंद तरीका है।
कैसे करें:

  • गर्म पानी की बोतल या हीटिंग पैड को पेट के निचले हिस्से पर रखें।

  • यह मांसपेशियों को रिलैक्स करता है और ब्लड फ्लो बेहतर बनाता है।

  • दिन में 2–3 बार, 15–20 मिनट तक करें।

ध्यान दें: बहुत ज्यादा गर्म न करें, हल्की गर्माहट ही पर्याप्त है।

2. अदरक, तुलसी या कैमोमाइल की हर्बल चाय

अदरक, तुलसी और कैमोमाइल में सूजन घटाने वाले प्राकृतिक गुण होते हैं।

कैसे बनाएं:

  • 1 कप पानी में थोड़ी अदरक या तुलसी की पत्तियां उबालें।

  • चाहें तो कैमोमाइल टी-बैग भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

  • स्वाद के लिए शहद मिलाएं और दिन में 2 बार पिएं।

इससे मरोड़, सिरदर्द और बेचैनी में राहत मिलती है।

3. हल्दी वाला गर्म दूध – आराम देने वाला टॉनिक

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन (Curcumin) दर्द को प्राकृतिक रूप से कम करता है।

रात में सोने से पहले:

  • 1 गिलास गर्म दूध में 1/4 चम्मच हल्दी मिलाएं।

  • चाहें तो थोड़ा सा गुड़ डाल सकती हैं।

यह न सिर्फ दर्द कम करता है, बल्कि नींद भी अच्छी आती है।

4. तिल (Sesame Seeds) और सौंफ – आयुर्वेद का जादू

तिल और सौंफ दोनों शरीर को गर्म रखते हैं और ब्लड फ्लो सुधारते हैं।

कैसे लें:

  • 1 चम्मच भुना हुआ तिल रोज़ खाएं या गर्म पानी में उबालकर पीएं।

  • सौंफ का पानी (रात भर भीगा हुआ) सुबह पिएं।

ये उपाय खासकर उन महिलाओं के लिए फायदेमंद हैं जिन्हें बार-बार दर्द होता है।

5. हाइड्रेशन और डाइट का ध्यान रखें

खाली पेट या डिहाइड्रेशन भी दर्द को बढ़ा सकता है। इस दौरान शरीर को जितना हो सके, अंदर से शांत रखें।

क्या खाएं:

  • नारियल पानी, नींबू पानी, और गुनगुना पानी

  • पका हुआ केला, पपीता, खिचड़ी, सूप

  • हरी सब्ज़ियां और फाइबर से भरपूर खाना

क्या न खाएं:

  • बहुत ज्यादा मसालेदार और तला-भुना खाना

  • कैफीन (चाय, कॉफी), कोल्ड ड्रिंक्स, और मीठे फूड्स

एक हल्की और संतुलित डाइट दर्द को बहुत हद तक कंट्रोल कर सकती है।

6. योग और स्ट्रेचिंग – मूड और मांसपेशियों दोनों के लिए

योग एक ऐसी थैरेपी है जो शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर राहत देती है।

करें ये आसन:

  • बालासन (Child's Pose) – पेट की मांसपेशियों को आराम

  • भुजंगासन (Cobra Pose) – ब्लड फ्लो सुधारता है

  • सेतु बंधासन (Bridge Pose) – शरीर को खोलता है, टेंशन कम करता है

साथ ही गहरी सांस लेने की प्रैक्टिस करें। इससे बेचैनी और थकावट भी कम होती है।

7. इन गलत आदतों से बचें

कई बार छोटी-छोटी गलतियां दर्द को बढ़ा देती हैं।

  • खाली पेट दवाई लेना

  • बहुत टाइट कपड़े पहनना

  • पूरा दिन लेटे रहना – थोड़ा चलना-फिरना ज़रूरी है

  • बार-बार मोबाइल या स्क्रीन पर रहना – इससे सिरदर्द और चिड़चिड़ापन बढ़ता है

अपनी बॉडी को सुनें और आराम दें, लेकिन सुस्त न बनें।

8. मानसिक तनाव भी बन सकता है कारण

कई बार तनाव, चिंता और थकान भी पीरियड के दर्द को बढ़ा सकते हैं।
इसलिए खुद को शांत और खुश रखने की कोशिश करें:

  • म्यूजिक सुनें

  • किताब पढ़ें

  • किसी से बात करें जिससे बात करके मन हल्का हो जाए

  • गर्म पानी से नहाएं

पीरियड्स के दौरान आत्म-देखभाल सबसे ज़रूरी होती है।

9. कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?

अगर घरेलू उपाय काम नहीं कर रहे और हर बार बहुत तेज़ दर्द हो रहा है, तो देर न करें:

  • दर्द 3 दिन से ज्यादा चल रहा है

  • बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है

  • बुखार, उल्टी या बेहोशी जैसा लग रहा है

  • पहले इतना दर्द नहीं होता था, अब हो रहा है

ऐसी स्थिति में किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ (Gynaecologist) से बात ज़रूर करें।

निष्कर्ष

पीरियड में पेट दर्द एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है, जो कई महिलाओं के लिए हर महीने की चुनौती बन जाती है। दवाइयों के बजाय अगर हम कुछ आसान और घरेलू उपायों को अपनाएं, तो इस दर्द से बिना किसी साइड इफेक्ट के राहत पाई जा सकती है। जैसे हीटिंग पैड लगाना, अदरक या तुलसी की चाय पीना, हल्दी वाला दूध, या योग करना—ये सभी उपाय शरीर को आराम देने के साथ-साथ मानसिक शांति भी देते हैं।

इसके साथ ही खानपान का ध्यान रखना, भरपूर पानी पीना, और ज़रूरत के अनुसार आराम लेना भी बेहद ज़रूरी है। लेकिन अगर हर महीने दर्द बहुत ज़्यादा हो रहा है, या इसके साथ अन्य लक्षण जैसे उल्टी, चक्कर या कमजोरी आ रही है, तो डॉक्टर से सलाह लेना बिल्कुल भी न टालें। हेल्दी जीवनशैली और सही जानकारी के साथ पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द भी बेहतर तरीके से मैनेज किया जा सकता है।

FAQs

Q1. क्या पीरियड के दौरान पेट दर्द सामान्य होता है?
Ans: हाँ, पीरियड्स के समय हल्का से मध्यम पेट दर्द सामान्य माना जाता है। यह यूटरस की मांसपेशियों के संकुचन के कारण होता है, जिससे ब्लड फ्लो निकलता है। हालांकि, अगर दर्द बहुत ज्यादा हो, तो डॉक्टर से जांच करवाना जरूरी है।

Q2. पीरियड के दर्द के लिए सबसे असरदार घरेलू उपाय कौन-सा है?
Ans: हीटिंग पैड से सिकाई, अदरक-तुलसी की चाय, और हल्दी वाला दूध तीनों ही बहुत असरदार माने जाते हैं। इसके साथ ही योग और हल्का स्ट्रेचिंग भी जल्दी राहत देता है।

Q3. क्या सौंफ या तिल से सच में दर्द में आराम मिलता है?
Ans: जी हाँ, आयुर्वेद में सौंफ और तिल को गर्म प्रकृति का माना गया है। ये ब्लड फ्लो सुधारते हैं और गर्भाशय की मांसपेशियों को शांत करते हैं, जिससे दर्द में आराम मिलता है।

Q4. पीरियड्स के समय क्या खाने से दर्द कम हो सकता है?
Ans: हल्का और पौष्टिक खाना जैसे खिचड़ी, पपीता, केला, हरी सब्ज़ियाँ, नारियल पानी आदि दर्द कम करने में मदद करते हैं। तला-भुना, मसालेदार और कैफीन युक्त चीज़ें न खाएं।

Q5. पीरियड के समय योग कब करना चाहिए?
Ans: आप पीरियड्स के दूसरे दिन से हल्के योगासन कर सकती हैं जैसे बालासन, भुजंगासन, और सेतु बंधासन। ये ब्लड फ्लो को बेहतर बनाते हैं और मांसपेशियों की जकड़न कम करते हैं।

Q6. क्या तनाव भी पीरियड दर्द को बढ़ा सकता है?
Ans: बिल्कुल। तनाव और चिंता से हार्मोनल बदलाव होते हैं जो पीरियड्स को अनियमित और दर्दनाक बना सकते हैं। खुद को शांत रखने की कोशिश करें—म्यूजिक सुनें, किताब पढ़ें या गर्म पानी से स्नान करें।

SOURCE

https://ayush.gov.in/index_hi.html#!/frontcontroller_hi#%2Ffrontcontroller_hi

https://nhm.gov.in/

Dr. Sunita Singh Rathore

Dr. Sunita Singh Rathore

Dr. Sunita Singh Rathore is a highly experienced fertility specialist with over 15 years of expertise in assisted reproductive techniques. She has helped numerous couples achieve their dream of parenthood with a compassionate and patient-centric approach.